ऐसा कहा जाता है की भारत कई सारे मंदिरों का देश है। देश की किसी भी शहर के रस्ते पर कही ना कही मंदिर दिखाई देता है। वैसेही आन्ध्र प्रदेश के तिरुमाला शहर में भगवान वेंकटेश्वर – Venkateswara Temple का काफ़ी मशहुर मंदिर है।
वेंकटेश्वर मंदिर, आन्ध्र प्रदेश – Venkateswara Temple, Tirumala
उस मंदिर को सभी वैष्णव मंदिर से भी जानते है। यह मंदिर पूरी तरह से विष्णु भगवान के अवतार भगवान श्री वेंकटेश्वर को समर्पित है। मंदिर को तिरुपति मंदिर, तिरुमाला मंदिर, तिरुपति बालाजी मंदिर नाम से भी लोग बुलाते है।
इस मंदिर की बहुत सी कथाएं जुडी हैं उनमें से एक कहानी के अनुसार एक बार भगवान विष्णु की पत्नी देवी लक्ष्मी भगवान से नाखुश होकर कुछ कारणवश पृथ्वी पर रहने के लिए चली जाती है। जहा देवी रहा करती थी उस जगह को आज कोल्हापुर कहते है। देवी उन्हें छोड़कर चली गयी देखकर भगवान विष्णु को भी बहुत दुःख होता है और वो भी तिरुमाला में रहने के लिए आ जाते है।
पृथ्वीपर आने के बाद वो ध्यान करने में लग जाते है और कुछ समय के बाद उनके चारो तरफ़ चीटियों का घर बन जाता है। यह सब देखकर भगवान शिव और ब्रह्मा विष्णु को दूध देने के लिए एक गाय और बछड़ा के रूप में आ जाते है।
गाय अपना दूध उस चीटीयो के घर पर डाल रही होती है तभी वहासे गुजरनेवाला चरवाह वो सब देख लेता है और वो उस चीटी के घर को तोड़कर अंदर क्या हो सकता जानने की कोशिश करता है लेकिन ऐसा करते वक्त कुछ उल्टा ही हो जाता है। भगवान विष्णु के शरीर से अचानक खून बहने लगता है और यह सब देखकर वो चरवाह उसी वक्त मर जाता है।
बाद में भगवान विष्णु भगवान वराह्स्वामी के निवास्थान में जाने के लिए विष्णु निकल पड़ते है। (क्यु की उनका अगला अवतार ही वराह अवतार होता है।) बाद में भगवान विष्णु वेंकटेश्वर का अवतार लेते है और वकुलादेवी नाम की गरीब महिला उन्हें गोद ले लेती है। उसी दौरान देवी लक्ष्मी भी पद्मावती के रूप में दूसरा अवतार आकाशा राजा की पुत्री के रूप में लेती है।
कुछ समय बाद वेंकटेश्वर और पद्मावती को एक दुसरे से प्यार हो जाता है और आकाशा राजा उन दोनों की शादा करवा देता है क्यु वो जानता थे को वो दोनों भी भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के अवतार है। शादी करने के लिए वेंकटेश्वर कुबेर से धन उधार में लेते है और वो पद्मावती से शादी कर लेते है। उन दोनों के मंदिरे तिरुमाला और तिरुपति में स्थित है।
वेंकटेश्वर मंदिर की वास्तुकला – Architecture of Venkateswara Temple
ऐसा माना जाता है की इस मंदिर की निर्माण की शुरुवात सन 300 में हुई थी। मंदिर के गर्भगृह को आनंद्निलायम कहते है। भगवान वेंकटेश्वर मंदिर में खड़े है और वो गर्भगृह में पूर्व की दिशा की ओर मुख करके खड़े है।
मंदिर मे भगवान की पूजा वैखान्नासा अगामा परंपरा के अनुसार ही की जाती है। भगवान विष्णु के आठ स्वयंभू क्षेत्रो में इस मंदिर को गिना जाता है और यह मंदिर 106 स्थान पर आता है।
यात्रियो की भीड़ ना हो इसीलिए यात्रियों के लिए बड़ी इमारत की व्यवस्था की गयी है। और लोगों के खाने की व्यवस्था भी ‘तरिगोंदा वेंगामम्बा अन्नाप्रसादम’ में की गयी है। यहाँ पर बाल काटने के लिए भी अलग इमारत की व्यवस्था भी की गयी है। यात्रियों के रहने के लिए भी अलग से सुविधा की गयी है।
श्री वेंकटेश्वर मंदिर ने भारतीय धार्मिक विद्या में अद्वितीय पवित्रता प्राप्त कर ली है। शास्त्रों, पुराणों और कई अन्य शास्त्रों में घोषणा की गई है कि केवल वेंकटेश्वर की पूजा करने से ही आत्मज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।
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